logo

(फॉलोअप) सोशल मीडिया टिप्पणी से सियासी तूफान, इन्फ्लुएंसर आकांक्षा टोप्पो की गिरफ्तारी पर गरमाई छत्तीसगढ़ की राजनीति


अंबिकापु)। राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री और क्षेत्रीय विधायक के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले ने अब महज एक कानूनी कार्रवाई से आगे बढ़कर बड़ा सियासी रंग ले लिया है। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर आकांक्षा टोप्पो की गिरफ्तारी के बाद यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति में उबाल लेता नजर आ रहा है। एक ओर पुलिस इसे कानून-व्यवस्था और सार्वजनिक शांति से जुड़ा मामला बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला करार देते हुए सरकार पर तीखा प्रहार कर रहा है।

गिरफ्तारी और आरोप

जानकारी अनुसार, सीतापुर थाना पुलिस ने आकांक्षा टोप्पो के खिलाफ अपराध क्रमांक 471/25 के तहत धारा 353(2) बीएनएस में मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया है।

पुलिस के अनुसार, 23 दिसंबर 2025 को सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियां जनप्रतिनिधियों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली, अभद्र और मर्यादाहीन पाई गईं। जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपित स्वयं को पत्रकार की तरह प्रस्तुत कर कथित रूप से भ्रामक और झूठी जानकारियां प्रसारित कर रही थीं। पुलिस का दावा है कि इस तरह के मामलों में उनके खिलाफ पहले भी विभिन्न थानों में प्रकरण दर्ज हैं।

इसके अलावा, सीतापुर विधानसभा क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यों के लिए शासकीय भूमि को लेकर सोशल मीडिया पर लगाए गए कथित झूठे आरोपों की शिकायत पर भी विवेचना जारी है। पुलिस का कहना है कि इस पूरे प्रकरण से सामाजिक सौहार्द और सार्वजनिक शांति प्रभावित होने की आशंका थी।

राजनीतिक हलचल तेज

गिरफ्तारी की खबर सामने आते ही विपक्ष आक्रामक हो गया है। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इसे सरकार की दमनकारी नीति बताते हुए सवाल उठाए हैं। बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि असहमति की आवाज़ों को दबाने के लिए पुलिस कार्रवाई का सहारा लिया जा रहा है।

अमरजीत भगत का तीखा बयान

छत्तीसगढ़ शासन के कांग्रेस काल में रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने आज शनिवार को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस मामले पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने लिखा कि, आज छत्तीसगढ़ के लिए यह सिर्फ एक एफआईआर का मामला नहीं है, यह हमारे प्रदेश की आवाज़ को डराने का मामला है। आकांक्षा टोप्पो कोई अपराधी नहीं, बल्कि एक बहादुर आदिवासी बेटी है, जो अपने मोबाइल से सरकार से सवाल पूछ रही थी। सवाल पूछना अब अपराध बना दिया गया है।

उन्होंने कहा कि सरकार सवालों का जवाब देने के बजाय पुलिस भेज रही है और संविधान की आत्मा को ज़मीन पर कुचला जा रहा है। सरगुजा से बस्तर तक आदिवासी आवाज़ों से डरने का आरोप लगाते हुए उन्होंने एफआईआर को तुरंत वापस लेने की मांग की और चेतावनी दी कि आदिवासी बेटियों की आवाज़ दबाने वाली सत्ता ज़्यादा दिन नहीं टिकती।

फिलहाल पुलिस कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात कह रही है, जबकि विपक्ष इसे लोकतांत्रिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़कर सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक मुद्दा बनाने में जुट गया है। साफ है कि आकांक्षा टोप्पो की गिरफ्तारी का मामला आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति में और अधिक गरमाहट पैदा कर सकता है।

Subscribe Now