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अंबिकापुर : अमेरा ओपनकास्ट कोल खदान विस्तार पर बवाल, पुलिस-ग्रामीणों में भीषण पथराव, 25 पुलिसकर्मी व कई ग्रामीण जख्मी


अंबिकापुर। अमेरा ओपनकास्ट कोल माइंस के विस्तार को लेकर बुधवार को लखनपुर थाना क्षेत्र में हालात अचानक बेकाबू हो गए। जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे ग्रामीणों और पुलिस बल के बीच जोरदार पथराव हुआ, जिसमें एएसपी और थाना प्रभारी सहित लगभग 25 पुलिसकर्मी घायल हो गए। वहीं दर्जनभर से अधिक ग्रामीणों के चोटिल होने की जानकारी सामने आई है। हालात बिगड़ते देख पुलिस को आंसू गैस के गोले दागकर भीड़ को काबू में करना पड़ा। गंभीर रूप से घायल थाना प्रभारी अश्वनी सिंह को अंबिकापुर रेफर किया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, अमेरा खदान के लिए परसोढ़ी गांव की भूमि का अधिग्रहण वर्ष 2001 में किया गया था, लेकिन ग्रामीण लगातार विस्तार कार्य का विरोध कर रहे हैं। सुबह करीब 11 बजे प्रशासनिक अधिकारी लगभग 500 पुलिसकर्मियों के साथ अधिगृहीत क्षेत्र में कंपनी को कब्जा दिलाने पहुंचे। इसी दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया और देखते ही देखते ग्रामीणों और पुलिस के बीच पथराव शुरू हो गया।

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन जबरन जमीन पर कब्जा देने की कोशिश कर रहा है, जबकि पुलिस का कहना है कि ग्रामीणों ने अचानक हमला किया। झड़प में एएसपी अमोलक सिंह, एसडीओपी ग्रामीण और धौरपुर थाना प्रभारी सहित कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए।

दोनों ओर से पथराव, दर्जनभर ग्रामीण भी अस्पताल पहुंचाए गए

झड़प के दौरान न सिर्फ ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला किया, बल्कि पुलिसकर्मियों ने भी जवाबी पत्थर फेंके। दोनों पक्ष एक-दूसरे को संघर्ष शुरू करने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इसके बाद हालात नियंत्रण से बाहर होते देख पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया है। कई ग्रामीणों को भी चोटें आईं और उनका उपचार जारी है।

किसानों का आरोप: न नौकरी मिली, न पूरा मुआवजा, जमीन नहीं देंगे

स्थानीय लोगों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के 24 साल बाद भी न तो सभी प्रभावित किसानों को मुआवजा मिला है और न ही वादा किया गया रोजगार। करीब तीन महीने पहले कंपनी ने जेसीबी चलाने की कोशिश की थी, जिसके विरोध में ग्रामीण अपनी फसलों और भूमि की रखवाली करने खेतों में डटे हुए हैं। ग्रामीणों का सामूहिक निर्णय है कि वे जमीन नहीं छोड़ेंगे।

प्रशासन का पक्ष: कई लोग मुआवजा नहीं ले रहे, काम में बाधा

अपर कलेक्टर सुनील नायक ने बताया कि वर्ष 2016 में भू-अर्जन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। कई किसान मुआवजा लेने तैयार नहीं हैं और खनन कार्य रुकने से भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों से दोबारा वार्ता की जा रही है और उत्खनन कार्य में सहयोग की अपील की गई है।

निजी कंपनी का दबाव भी चर्चा में

खदान का संचालन एसईसीएल की ओर से एलसीसी नामक कंपनी कर रही है। करोड़ों रुपये के निवेश वाले इस प्रोजेक्ट में काम बंद होने से कंपनी को रोजाना नुकसान उठाना पड़ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन, कंपनी के दबाव में आकर जबरन जमीन सौंपने की कोशिश कर रहा है।

ग्रामीणों की इच्छा के खिलाफ खदान नहीं खुलेगी : टीएस सिंहदेव

पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि यदि प्रभावित गांव खदान विस्तार का विरोध कर रहे हैं, तो उनकी इच्छा के विरुद्ध किसी भी प्रकार का प्रोजेक्ट लागू नहीं होना चाहिए।

भानू प्रताप सिंह ने प्रशासन पर नियम तोड़ने का आरोप लगाया

राज्य अजजा आयोग के पूर्व अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार, यदि कोई कंपनी पांच वर्षों तक जमीन का उपयोग नहीं करती है, तो जमीन मूल मालिक को वापस की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने मुआवजा नहीं लिया है, उनकी जमीन को अधिग्रहित माना ही नहीं जा सकता। पूरा मामला नियमों के विपरीत है, जिसका कड़ा विरोध किया जाएगा।

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