कलेक्टर ने कक्षा पहली से पाँचवीं तक के विद्यार्थियों की शैक्षणिक समझ, भाषा ज्ञान एवं आत्मविश्वास का मूल्यांकन किया। बच्चों द्वारा हिंदी एवं अंग्रेजी में सहजता से दिए गए उत्तरों से वे प्रसन्न दिखाई दिए। विद्यालय में निर्मित प्रिंट-रिच वातावरण, कबाड़ से जुगाड़ आधारित पवन चक्की, सौर ऊर्जा मॉडल, यातायात संकेत, माइलस्टोन तथा भारत एवं छत्तीसगढ़ के मानचित्र जैसी शिक्षण सामग्रियों को उन्होंने अनुभव आधारित शिक्षण का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने मुस्कान पुस्तकालय के अंतर्गत संचालित बंद पुस्तकालय, खुला पुस्तकालय एवं चर्चा-पत्र पुस्तकालय का अवलोकन किया, जहां लगभग 1500 पुस्तकों का संचालन स्वयं विद्यार्थी करते हैं। साथ ही “एक दिन का गुरुजी” एवं “आज का फूल” जैसी गतिविधियों को बच्चों में नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास एवं जिम्मेदारी विकसित करने वाला नवाचार बताया। विद्यालय में विकसित किचन गार्डन, हर्बल गार्डन, मसाला बगान एवं गुलाब गार्डन को पर्यावरण शिक्षा का सशक्त माध्यम बताया गया।
लगभग 314 की आबादी वाले आदिवासी बहुल गांव में संचालित इस विद्यालय में वर्तमान में 46 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। वर्ष 2025 में विद्यालय के 08 विद्यार्थियों के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में चयन पर कलेक्टर ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने शासकीय प्राथमिक शाला लामीखार को जिले के अन्य विद्यालयों के लिए अनुकरणीय मॉडल बताते हुए निर्देश दिए कि यहां के नवाचारों एवं शिक्षण पद्धतियों को अन्य शालाओं में भी अपनाने हेतु प्रेरित किया जाए।
रायगढ़ : घने वनांचल के विद्यालय पहुँचे कलेक्टर, शिक्षा के नवाचारों को सराहा
रायगढ़। कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने आज शनिवार को सुदूर वनांचल क्षेत्र में स्थित ग्राम पंचायत देउरमार के आश्रित ग्राम लामीखार में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला का निरीक्षण किया। उन्होंने विद्यालय में बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए किए जा रहे शैक्षणिक नवाचारों का अवलोकन किया और विद्यार्थियों से सीधे संवाद कर शिक्षण वातावरण की सराहना की।












