नई
दिल्ली, । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने
मंगलवार को कहा कि साल 2047 तक हम विकसित भारत बनाएंगे। उन्होंने लोकसभा
में केंद्रीय बजट 2024-25 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह विकसित भारत
का बजट है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने लोकसभा में केंद्रीय बजट
2024-25 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह बजट विकसित भारत के लिए है।
भौगोलिक विकास के हिसाब से यह बजट तैयार किया गया है। उन्हाेंने कहा कि
विकसित भारत सरकार का विजन है। इस इस वित्त वर्ष में 48.2 लाख करोड़ रुपये
खर्च होने जा रहा है। सीतारमण ने सदन को बताया कि सरकार का व्यय तेजी से
बढ़ा है, जो 48.21 लाख करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष
2023-24 की तुलना में इसमें 7.3 फीसदी और 2023-24 के पूर्व वास्तविक व्यय
की तुलना में 8.5 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है।
सीतारमण ने
कहा कि केंद्रीय बजट 2024-25, विकसित भारत की दिशा में पहला कदम है।
उन्होंने अपने जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री ने मुझ पर जो भरोसा जताया है,
उससे मैं बहुत अभिभूत हूं। उन्होंने कहा कि इससे मुझे और भी अधिक मेहनत
करने की प्रेरणा मिलती है। वित्त मंत्री ने कहा कि हम सभी को वर्ष 2047 तक
विकसित भारत के निर्माण के लिए काम करना होगा। उन्हाेंने लोकसभा में बजट
पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि हम राजकोषीय घाटे को 2025-26 तक 4.5
फीसदी से नीचे लाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत
11 करोड़ किसानों को 3.24 लाख करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
वित्त
मंत्री ने सदन को बताया कि वित्त वर्ष 2013-14 में कृषि मंत्रालय के लिए
21,934 करोड़ रुपये का बजट था, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में कृषि बजट 5
गुना बढ़कर 1.23 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसमें पांच गुना वृद्धि हुई
है, जबकि 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक वितरित
किए गए हैं। उन्हाेंने कहा कि हमने इस वित्त वर्ष में केंद्र शासित प्रदेश
जम्मू-कश्मीर के लिए केंद्रीय बजट में 17 हजार करोड़ रुपये की पर्याप्त
वित्तीय सहायता प्रदान की है। इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस की लागत के वित्त
पोषण के लिए 12 हजार करोड़ रुपये शामिल हैं। यही वह बोझ है जिसे हम अपने
कंधों पर लेना चाहते हैं।
लोकसभा में सीतारमण ने कहा कि 2020 से
2023 के बीच भारत की मुद्रास्फीति वैश्विक औसत से बहुत कम थी। कोरोना
महामारी (कोविड-19) के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अर्थव्यवस्था
की योजना इस तरह बनाई कि हमारी मुद्रास्फीति पर इतना बुरा असर नहीं पड़ा।
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले दशक में रोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी हुई
है, जो 2014 के 34 फीसदी से बढ़कर 2025 में 51 फीसदी हो गयी है। ये युवाओं
में स्किलिंग और कौशल विकास के कारण हो सका है।
सीतारमण ने सदन को
बताया कि इस बार केंद्रीय बजट 2024-25 में में कौशल विकास की 5 योजनाओं के
पैकेज का प्रावधान किया गया है। उन्हाेंने कहा कि आजादी के समय भारत के
औद्योगिक उत्पादन में बंगाल की हिस्सेदारी 24 फीसदी थी, जबकि आज देश के
औद्योगिक उत्पादन में बंगाल की हिस्सेदारी 3.5 फीसदी है। विपक्षी दलों के
आरोपों पर वित्त मंत्री ने कहा कि मैं ये साफ कर देना चाहती हूं कि अगर
किसी राज्य का बजट में नाम नहीं लिया गया, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि उस
राज्य को पैसे जारी नहीं किए गए। विपक्ष को लोगों के बीच ऐसी धारणा नहीं
बनानी चाहिए।
बजट पर चर्चा के जवाब में वित्त मंत्री ने बताया कि
यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान किस वर्ष के बजट में कितने राज्यों के
नाम की चर्चा नहीं की गई। उन्हाेंने वित्त वर्ष 2004-2005, 2005-2006,
2006-2007, 2007-2008 और इसी तरह से बजट भाषणों का हवाला देते हुए कहा कि
वित्त वर्ष 2004-2005 के बजट में 17 राज्यों का नाम नहीं लिया गया था। मैं
उस समय के यूपीए सरकार के सदस्यों से पूछना चाहती हूं, क्या उन 17 राज्यों
को पैसा नहीं दिया गया? क्या उन्होंने इसे रोक दिया?
सीतारमण ने
सदन को बताया कि जम्मू-कश्मीर में 15-59 वर्ष के आयु वर्ग में बेरोजगारी दर
में गिरावट आई है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 6.4 फीसदी से घटकर वित्त
वर्ष 2021-22 में 5.7 फीसदी और वित्त वर्ष 2022-23 में 4.4 फीसदी हो गई
है। वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा कि जुलाई 2024 में जारी एसबीआई की शोध
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2014 और 2023 के बीच 12.5 करोड़
नौकरियों का सृजन हुआ, जबकि यूपीए सरकार के 10 वर्षों के दौरान केवल 2.9
करोड़ नौकरियों का सृजन हुआ था।
उन्होंने बताया कि बेरोजगारी दर
वित्त वर्ष 2017-18 में 6 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2022-23 में 3.2
फीसदी के निचले स्तर पर आ गई है। उन्होंने बताया कि 15-29 वर्ष की आयु
वर्ग के लिए युवा बेरोजगारी वित्त वर्ष 2017-18 में 17.8 फीसदी से तेजी से
घटकर वित्त वर्ष 2022-23 में 10 फीसदी हो गई है। वित्त मंत्री ने विपक्ष
के नेता के हलवा सेरेमनी पर सवाल उठाने पर जवाब देते हुए कहा कि मिंटो रोड
पर जब प्रिंटिंग प्रेस था, स्टाफ वहां जाते थे, बजट प्रेजेंट होने तक बाहर
नहीं आते थे. आज भी वो सिस्टम बरकरार है। अच्छा काम शुरू करने से पहले
मुंह मीठा करने की प्रथा है। पहले 8 दिन-9 रात्रि, अब 4 दिन-5 रात्रि वहां
रहना पड़ता है। ऐसे में उस पर सवाल उठाना ठीक नहीं है।