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बिना-गियर वाली साइकिल से रितेश ने छुआ एवरेस्ट बेस कैंप, 41 दिनों में पूरी की यात्रा


भागलपुर। बिना गियर वाली साइकिल से एवरेस्ट फतह करने वाले भागलपुर के रितेश कुमार साह के परिवार वाले अब उसके सकुशल वापसी को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं।

बीते 3 दिसंबर को रितेश ने एवरेस्ट बेस कैंप पर भारत का तिरंगा सफलतापूर्वक लहराया था। रितेश कुमार भागलपुर जिले के कहलगांव के पैठनपुरा वार्ड नंबर 1 रहने वाले गोपी साह के 25 वर्षीय पुत्र है।

सीमित संसाधन के कारण एवरेस्ट चोटी चढ़ाई करने के दौरान ही रितेश के हाथ पैर और शरीर में छाले पड़ गए थे। 3 दिसंबर को ही एवरेस्ट चोटी पर पहुंचने के बाद पर्वतारोही रितेश ने अपने पिता को फोन कर बताया कि वह अब चलने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं, इसलिए यदि सरकारी मदद मिल जाए तो सुरक्षित वापस हो जाएंगे।

इसके बाद रितेश के पिता और बड़े भाई प्रिंस भागलपुर के सांसद अजय मंडल और जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी से मिलकर एक आवेदन सोपा है।

आवेदन बीते 5 दिसंबर को सोपने के बाद अभी तक किसी तरह कोई मदद नहीं मिली है। ऐसे में रितेश के परिवार वालों की चिंता बढ़ गई है। पिता गोपी साह ने चिंता जताते हुए कहा कि थक-हार कर मेरा बेटा वहां से वापस लौटना शुरू कर दिया है। लेकिन मेरे बेटे के पास अब पैसा बचा नहीं है। रास्ते में बेटा ट्यूशन दे देता है, इसके बदले उन्हें खाना मिल जाता है।

एवरेस्ट की चढ़ाई करने वाले अन्य पर्वतारोही से मदद स्वरूप उधर से कुछ पैसा मिल जाता है। जिसे लेकर वह आगे बढ़ रहे हैं।

पर्वतारोही रितेश से व्हाट्सएप पर वीडियो कॉलिंग कर बातचीत किया तो उन्होंने बताया कि समस्या तो है हमने जो लक्ष्य तय किया था उसे हासिल कर लिया है। आगे उन्होंने कहा कि हम लोग जिस क्षेत्र से आते हैं, उसके लिए चट्टानी वातावरण को झेलना मुश्किल होता है। जब आप इस इलाके में आते हैं तो चोट लगा घायल होना आम बात है। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र का राज्य का या देश का कोई व्यक्ति साहसी कार्यकर्ता है और यदि लगता है कि वह देश का गौरव क्षेत्र का गौरव और राज्य का गौरव बढ़ाया है तो उन्हें अपने कर्तव्य के अनुसार कुछ करना चाहिए।

हम स्वाभिमानी व्यक्ति हैं। हम अपने ही संसाधन से और खर्चे से यहां पर पहुंचे और वापस लौटना शुरू कर दिए हैं। लेकिन सरकार से मेरी मांग है वो अपना कृतत्व -निष्ठा दिखाएं उनका जो कर्तव्य बनता है वह करें। उन्होंने कहा कि लगातार पर्वतीय क्षेत्र में 53 दिनों से चल रहे हैं। ऐसे में स्वाभाविक सी बात है की शरीर में कई तरफ जख्म हो ही जाते हैं।‌

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