जदयू नेताओं ने कहा कि भुइयाँडीह में लंबे समय से बसे लोगों के घरों को तोड़ने से पहले प्रभावित परिवारों के लिए उचित पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए थी। उनका मानना है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के लोगों को बेघर करना मानवता के दृष्टिकोण से उचित नहीं है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि प्रभावित परिवारों के लिए तत्काल पुनर्वास योजना लागू की जाए और भविष्य में किसी भी विकास कार्य में नियमों और जनहित का पूरा ध्यान रखा जाए।
जदयू जिला अध्यक्ष सुबोध श्रीवास्तव ने कहा, “हम सड़क चौड़ीकरण का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन प्रक्रिया मानवता और नियमों के अनुरूप होनी चाहिए। बिना पुनर्वास के लोगों के घर तोड़ना सही नहीं है। प्रशासन से हमारी मांग है कि प्रभावित परिवारों के लिए तुरंत पुनर्वास योजना बनाई जाए।”
इससे पहले, विभिन्न राजनीतिक दलों ने उपायुक्त और मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था कि अतिक्रमण मुक्त अभियान के नाम पर लोगों के घर और दुकानों को न तोड़ा जाए। इस संदर्भ में जनता ने अपनी मांगों को उजागर करने के लिए मशाल जुलूस भी निकाला था।
इस पूरे मामले में प्रशासन की ओर से यह कहा गया है कि सड़क चौड़ीकरण के लिए कार्रवाई आवश्यक है, लेकिन प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, स्थानीय जनता और राजनीतिक दलों का मानना है कि समय पर और उचित पुनर्वास योजना लागू किए बिना कोई भी कार्रवाई पूरी तरह न्यायसंगत नहीं मानी जा सकती।
सड़क चौड़ीकरण के दौरान घरों के ध्वस्त होने पर जदयू ने जिला मुख्यालय पर किया प्रदर्शन
पूर्वी सिंहभूम। सीतारामडेरा थाना क्षेत्र के भुइयाँडीह इलाके में सड़क चौड़ीकरण अभियान के दौरान दर्जनों घरों के तोड़े जाने को लेकर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की जिला इकाई ने सोमवार को जिला मुख्यालय के सामने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि उनका विरोध सड़क चौड़ीकरण के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसके कार्यान्वयन की प्रक्रिया के तरीके पर है।












