श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में जी-20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक के बाद सभी विदेशी प्रतिनिधि गुरुवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
अधिकारियों ने कहा कि जी-20 के सभी प्रतिनिधि कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे के सफल समापन के बाद श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से दिल्ली के लिए गुरुवार सुबह एक चार्टर्ड विमान से रवाना हो गए।
दो दिन श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में जी-20 देशों के पर्यटन कार्य समूह की बैठकें चलीं। इस दौरान प्रतिनिधियों में जम्मू कश्मीर के खान-पान और लोक संगीत का भरपूर आनंद लिया और उन पर थिरकने पर भी मजबूर हुए। खान-पान में एक खास बात यह रही कि इस दौरान मिलिटिस के पकवानों के स्टाल भी विदेशी मेहमानों के लिए लगाए गए थे और यह स्टाल उन्हें खूब भाए। सोमवार और मंगलवार शाम को प्रतिनिधियों ने डल झील में शिकारों पर बैठ सैर की और कश्मीरी पोशाक पहन तस्वीरें भी खिंचवाईं।
बुधवार को जी-20 के प्रतिनिधियों ने दो दिन के व्यस्त कार्यक्रम के बाद अपने होटलों व कन्वेंशन सेंटर के बाहर का रुख किया। इस दौरान वह सभी योग सत्र में शामिल हो तरोताजा हो गए। उसके बाद उन्होंने 18-होल रॉयल स्प्रिंग गोल्फ कोर्स में इस खेल का आनंद लिया। बाद में वह ऐतिहासिक मुगल व निशात गार्डन गए और यहां की खूबसूरती को देख आनंदविभोर हो गए। दिन के बाद हल्की बारिश में सभी प्रतिनिधि पोलो व्यू मार्केट में खरीदारी करने गए। उन्होंने स्थानीय हस्तशिल्प में गहरी दिलचस्पी ली और घाटी की अपनी यात्रा के संस्मरण के रूप में घर ले जाने के लिए कुछ खरीदारी भी की। इस दौरान कागज की लुगदी की वस्तुएं, पश्मीना शॉल और अखरोट की लकड़ी की नक्काशी आदि स्थानीय हस्तशिल्पों ने उनका ध्यान आकर्षित किया।
इस बीच प्रतिनिधियों के समूह ने एक स्वर में कहा कि सच में कश्मीर धरती का स्वर्ग है और यहां डर जैसी कोई बात ही नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि जब वह अपने-अपने देश वापस जाएंगे तो अपने व दूसरे देशों से भी कश्मीर में आने तथा यहां निवेश करने के लिए कहेंगे। उन्होंने कहा कि वह यहां दोबारा वापस अवश्य आएंगे। इस यात्रा से सभी प्रसन्न और संतुष्ट दिखे। माना जा रहा है कि जी-20 के सफल आयोजन से जम्मू-कश्मीर के पर्यटन में बढ़ोतरी होगी और यहां निवेश भी बढ़ेगा। जी-20 के सफल आयोजन ने साबित कर दिया है कि अब जम्मू कश्मीर बदल चुका है और यह शांति और विकास की ओर बढ़ चला है। घाटी में अब आतंकवाद और अलगाववाद अपनी अंतिम सांसे ले रहा है और वह दिन दूर नहीं है, जब जम्मू-कश्मीर विश्व में एक पर्यटन व फिल्म इंडस्ट्री के रूप में उभर कर सामने आएगा।
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