हजारीबाग। जिले में औसत से कम मानसूनी बारिश होने से एक तरफ जहां खरीफ की फसलें प्रभावित हुई हैं और ना के बराबर पैदावार होने की आशंका से किसान परेशान हैं, वहीं कुछ युवा किसानों ने लीक से हटकर अलग राह चुनी है। इन युवा किसानों ने परंपरागत धान की खेती की बजाय सब्जी की खेती पर दाव लगाया है, जिससे उनको अच्छी आमदनी होने की पूरी उम्मीद है। इस प्रयोग में वे काफी हद तक सफल हैं।
हजारीबाग के नावाटांड़ के रहने वाले युवा किसान अजित कुमार और मेरु निवासी विशेश्वर प्रसाद ने छह एकड़ जमीन पर सब्जी की खेती की है, जिससे उन्हें अच्छी कमाई होने की उम्मीद है। माननसूनी वर्षा आधारित खेती ही यहां के किसानों का मूल आधार है। इस वर्ष मानसून अनियमित हुआ। उस वर्ष की खेती खत्म हो ही जाती है। इस वर्ष भी कुछ वैसा ही हुआ। मानसून के बेरुखी की वजह से धान की खेती सम्पूर्ण जिले भर में प्रभावित हुई है। इस वजह से दोनों युवा किसानों ने टमाटर, बैगन, खीरा सहित अन्य की खेती कर परिवार के भरण पोषण का रास्ता चुना है। इन युवकों ने प्रखंड के खंभवा गांव में बेकार और बंजर पड़े परती जमीन को भाड़े पर लिया। जमीन पर पुटुस की झाड़ियां थी। उसे साफ करवाकर उन्होंने छह एकड़ जमीन को खेती लायक बनाया ।
अभी उस जमीन पर खीरा,बैगन और टमाटर की फसलें लहलहा रही हैं। दोनों युवकों ने बताया कि अब तक उन्हेंने लगभग चार लाख रुपये की पूंजी इस खेती में लगाया है। हालांकि इस वर्ष अभी तक कोई फल नहीं निकला है लेकिन सबसे पहला फल खीरे का निकलेगा। उन्होंने बताया कि चार लाख रुपए में उन्होंने बीज लिया,खेती के लायक जमीन बनाया। पौधारोपण,बंधाई, दवाई, खाद,मजदूरी और बाड़ा लगवाया है। बताया कि वे तैयार फसल को कहीं बाज़ार लेकर नहीं जाएंगे। उनकी सब्जियां व्यापारी वर्ग यहां आकर ले जाएंगे। दोनों युवकों ने कहा कि धान की फसल में उन्हें नुकसान हुआ है,उसकी भरपाई इसी फसल से वे करेंगे। उन्हाेंने बताया कि जमीन का भाड़ा 5000 रुपये प्रति एकड़ है। प्रतिदिन लगभग 20 से 25 मज़दूरों को वे रोजगार देते हैं।
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