झारखंड में ट्रिपल टेस्ट के मुद्दे पर फिर गरमाई सियासत

रांची। राज्य में बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराए जाने का मुद्दा एक बार फिर गर्म हो गया है। निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार ट्रिपल टेस्ट होना जरूरी है। ऐसे में 26 जून, 2022 को हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट बैठक में ट्रिपल टेस्ट कराने की जिम्मेदारी राज्य पिछड़ा आयोग को सौंप दी गयी। इस संबंध में सत्ता पक्ष और विपक्षी नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने हेमंत सोरेन कैबिनेट के फैसले को राज्य के ओबीसी समुदाय के साथ छल करार दिया है। उन्होंने कहा कि जिस झारखंड स्टेट ओबीसी कमीशन का न अध्यक्ष है और न सदस्य वैसा कमीशन ट्रिपल टेस्ट कैसे कराएगी। बिना पिछड़ों को आरक्षण दिए पंचायत चुनाव कराकर उनकी हकमारी की। अब जब नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट होना जरूरी है तब झामुमो ने जानबूझ कर ट्रिपल टेस्ट की जिम्मेदारी पिछड़ा आयोग को सौंप दी। प्रकाश ने कहा कि वर्तमान सरकार जनता को भ्रमित कर रही है।

झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज भाजपा ओबीसी समाज की हितैषी बनने की कोशिश कर रही है। उसके नेता को बताना चाहिए कि राज्य में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत किसके शासनकाल में कर दिया गया। उन्होंने कहा कि आयोग के गठन में कितना समय लगता है। दीपक प्रकाश को यह समझना चाहिए कि भाजपा के शासनकाल में भी कई बार आयोग खाली रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता ने कहा कि ओबीसी वर्ग को भाजपा दिग्भ्रमित ना करे। हमने 28 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कर भेजा है, जिसे राजभवन से लौटा दिया गया।

कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि कैबिनेट ने जल्द ओबीसी आयोग गठन कर लेने का भी निर्णय लिया है। ऐसे में भाजपा को इस पर राजनीति करने से बचना चाहिए। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि दीपक प्रकाश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं, वे अपने नजरिये से हर चीज को देखते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने फैसला लिया है तो भाजपा को इंतजार करना चाहिए

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