रांची,। झारखंड की हॉट सीट माने जाने वाली राजधानी रांची
लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए जी का जंजाल साबित हो रही है। इस सीट से कई बार
उम्मीदवार रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री
सुबोधकांत सहाय की कार्यशैली पर पार्टी के लोग ही सवाल उठा रहे हैं। इस सीट
से वे बेटी को टिकट दिलाकर चौतरफा घिर गए हैं।
राजनीतिक गलियारों
में अंदर और बाहर यह चर्चा का विषय बना है कि सुबोधकांत सहाय नहीं चाहते
हैं कि रांची लोस सीट पर उनके जाने के बाद इनके परिवार के अलावा कोई दूसरा
आए। इसलिए राजनीतिक ताकत के सहारे बिटिया यशस्विनी सहाय को रांची से टिकट
दिला दिया। कई लोग इसे लेकर सोशल मीडिया में भी खुलकर बोल रहे हैं।
कांग्रेस की महिला नेता और रांची नगर निगम की पूर्व मेयर रमा खलखो फेसबुक
पर लिखती हैं कि जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। यह बात
कांग्रेस नेता राहुल गांधी हमेशा कह रहे हैं।
रमा ने लिखा है कि
झारखंड प्रदेश में टिकट बंटवारे में कांग्रेस पार्टी की काफी फजीहत हुई।
किसी को टिकट देकर काट देना यह स्वस्थ परम्परा नहीं है। राजधानी रांची में
इतनी देरी बाद सहाय परिवार को ही टिकट देना था तो सुबोधकांत सहाय को ही दे
देते। पार्टी में युवा, महिला और अनुभवी उम्र वालों का रहना पार्टी के सेहत
के लिए फायदेमंद साबित होता है। खैर आलाकमान ने मुहर लगा दी है और
यशस्विनी सहाय हम सबकी बिटिया रांची लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं।
रमा
खलखो के इस पोस्ट पर लोगों ने बहस छेड़ दी है। कांग्रेस नेता सागिर अंसारी
कहते हैं कि कांग्रेस में टिकट चाहिए तो किसी सांसद-विधायक के परिवार से
होना चाहिए। परिवारवाद जिंदाबाद। गोविंद टोप्पो कहते हैं कि झारखंड
कांग्रेस कमेटी अब परिवारवाद की पार्टी बनकर रह गई है। यही कारण है युवा
कांग्रेस से कनेक्ट नहीं हो पा रहे हैं। कांग्रेस को अब भगवान ही बचा सकता
है।
दूसरी ओर, रांची सीट से कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद में
हाल ही में पार्टी में शामिल हुए रांची के पूर्व सांसद राम टहल चौधरी भी
खासे नाराज हैं। राम टहल चौधरी दो बार रांची के विधायक और पांच बार सांसद
रहे हैं। राम टहल कहते हैं कि टिकट की उम्मीद में ही कांग्रेस में शामिल
हुआ था लेकिन उनके साथ छल हुआ है। कांग्रेस जीती हुई सीट हार गई है।
कांग्रेस के लिए यह सही बात नहीं है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले
सुबोधकांत सहाय को रांची सीट से करारी हाल मिल चुकी है। इसके बाद उन्होंने
भाई सुनील सहाय को 2012 में हटिया विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिलाई थी लेकिन
वे भी चुनाव हार गए थे। अब सुबोधकांत सहाय ने बेटी को रांची संसदीय सीट से
टिकट दिला दी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि रांची लोकसभा सीट पर कांग्रेस
की नैया पार होती है या अंदरूनी कलह के चलते डूब जाती है।