देश-दुनिया
के इतिहास में 18 अप्रैल की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का
महत्व भारत में आजादी का बिगुल फूंकने वाले बड़े नायकों से भी है। ऐसे ही
एक क्रांतिवीर तात्या टोपे हैं। उन्हें इसी तिथि को अंग्रेजों ने फांसी दी
थी। तात्या ने न सिर्फ 1857 में स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी, बल्कि
पूरे देश में आजादी की चेतना का सूत्रपात किया। गुलामी को अपना भाग्य मान
चुकी पूरे देश की जनता को यह बताया कि आजादी क्या होती है और उसे हासिल
करना कितना जरूरी है। बहुत कम लोगों को मालूम है कि तात्या टोपे का असली
नाम रामचंद्र रघुनाथ टोपे था।
तात्या ने 1857 की क्रांति
में अंग्रेजों से अकेले सफल संघर्ष किया। तात्या ने 18 जून, 1858 को रानी
लक्ष्मीबाई की वीरगति के बाद गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई। तात्या टोपे
की गुना जिले के चंदेरी, ईसागढ़ के साथ ही शिवपुरी जिले के पोहरी, कोलारस के
वनों में गुरिल्ला युद्ध करने की अनेक कथाएं स्थानीय लोगों में आज भी
प्रचलित हैं। सात अप्रैल, 1859 को तात्या शिवपुरी-गुना के जंगलों में सोते
हुए धोखे से पकड़े गए। 18 अप्रैल, 1859 की शाम ग्वालियर के पास तात्या टोपे
को फांसी दे दी गई।
महत्वपूर्ण घटनाचक्र
1612ः शाहजहां और मुमताज का निकाह।
1859ःतात्या टोपे को अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया।
1902ः डेनमार्क ने सबसे पहले साल अपराधियों की पहचान के लिए फिंगरप्रिंट दर्ज करने शुरू किए।
1917ः महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत के लिए बिहार के चंपारण को चुना।